खंजर का कोई मज़हब नहीं‌ होता

0 0
Read Time2 Minute, 32 Second

cropped-cropped-finaltry002-1.png

खंजर का कोई मज़हब नहीं‌ होता

भारत माता आज युवा से

प्रोढ़ता की ओर है।

दर्द के हिलोरे आज

भी पुरु जोर है

देश का जर्रा जर्रा

तेरा एहसान मंद है

चाह कर भी दर्द तेरा

बाँट सकते हम नहीं

इस जहाँ में तुझको

दर्द देने वाले माँ कम नहीं

अंग्रेजों की दी पीड़ा सहती रही

अब अपने ही पीड़ा दे रहे

किसको अपना ग़म सुनाओगी

समानता की बात होती है

और बढ़ रही विषमताएँ

खंजर का कोई मज़हब नहीं‌ होता

अनंत घावों से भरा सीना चाक है

जाख्म चाहो गिन लो देशवासियों

कौनसा घाव किसका‌ दिया है

अब तो रिसने लगा हर घाव है।

मैं तो सबकी मां हूँ

किसी में फर्क कर सकती नहीं आजादी का ढ़ोल हर वर्ष है पीटते

बाद में एक दूसरे पर तोहमतें लानते भेजते

मुँह इन्होंने जब भी खोले हैं

उगले हमेशा आग के शोले है

इन लपटों में  शहर जल रहे

भारत माता की याद बस पंद्रह अगस्त को ही आती है।

सोचती हूँ दूर कहीं चली जाऊं

और अपने घावों का इलाज कराऊ

खंजर का कोई मज़हब नहीं हो

परिचय
नाम-  अर्विना गहलोत

राज्य-उत्तर प्रदेश

शहर- इलाहाबाद

शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान

 वैद्य विशारद

सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर 

विधा -स्वतंत्र
प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है  भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका

समाचार पत्र   नईदुनिया , दैनिक भास्कर , अमर उजाला हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान  अंकुर नोएडा, अमर उजाला  डीएनस दैनिक न्यायसेतु

श्रेष्ठ कवियत्री सम्मान 2017

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आज सुबह भी

Sat Aug 25 , 2018
रोज़ की तरह आज सुबह भी ले आया हूँ  एक खूबसूरत आज मजबूरियों के कत्लखाने में कि उतारकर खाल इसकी बोटी-बोटी कर बेच दूँगा शाम तलक ताकि भर सके मेरी और मेरे परिवार की ज़रूरतों का पेट ये दिन……… जिसे कुदरत ने पैदा होते ही सौंपा था मेरे हाथ में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।