खंजर का कोई मज़हब नहीं‌ होता

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खंजर का कोई मज़हब नहीं‌ होता

भारत माता आज युवा से

प्रोढ़ता की ओर है।

दर्द के हिलोरे आज

भी पुरु जोर है

देश का जर्रा जर्रा

तेरा एहसान मंद है

चाह कर भी दर्द तेरा

बाँट सकते हम नहीं

इस जहाँ में तुझको

दर्द देने वाले माँ कम नहीं

अंग्रेजों की दी पीड़ा सहती रही

अब अपने ही पीड़ा दे रहे

किसको अपना ग़म सुनाओगी

समानता की बात होती है

और बढ़ रही विषमताएँ

खंजर का कोई मज़हब नहीं‌ होता

अनंत घावों से भरा सीना चाक है

जाख्म चाहो गिन लो देशवासियों

कौनसा घाव किसका‌ दिया है

अब तो रिसने लगा हर घाव है।

मैं तो सबकी मां हूँ

किसी में फर्क कर सकती नहीं आजादी का ढ़ोल हर वर्ष है पीटते

बाद में एक दूसरे पर तोहमतें लानते भेजते

मुँह इन्होंने जब भी खोले हैं

उगले हमेशा आग के शोले है

इन लपटों में  शहर जल रहे

भारत माता की याद बस पंद्रह अगस्त को ही आती है।

सोचती हूँ दूर कहीं चली जाऊं

और अपने घावों का इलाज कराऊ

खंजर का कोई मज़हब नहीं हो

परिचय
नाम-  अर्विना गहलोत

राज्य-उत्तर प्रदेश

शहर- इलाहाबाद

शिक्षा-एम एस सी वनस्पति विज्ञान

 वैद्य विशारद

सामाजिक क्षेत्र- वेलफेयर 

विधा -स्वतंत्र
प्रकाशन-दी कोर ,क्राइम आप नेशन, घरौंदा, साहित्य समीर प्रेरणा अंशु साहित्य समीर नई सदी की धमक , दृष्टी, शैल पुत्र ,परिदै बोलते है  भाषा सहोदरी महिला विशेषांक, संगिनी, अनूभूती ,, सेतु अंतरराष्ट्रीय पत्रिका

समाचार पत्र   नईदुनिया , दैनिक भास्कर , अमर उजाला हरिभूमि ,समज्ञा डाटला ,ट्र टाईम्स दिन प्रतिदिन, सुबह सवेरे, साश्वत सृजन,लोक जंग अंतरा शब्द शक्ति, खबर वाहक ,गहमरी अचिंत्य साहित्य डेली मेट्रो वर्तमान  अंकुर नोएडा, अमर उजाला  डीएनस दैनिक न्यायसेतु

श्रेष्ठ कवियत्री सम्मान 2017

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।