महकते पुष्प

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mukesh bohara
शब्द-साधना, ब्रह्म-साधना।
यही तो है बस, स्वयं-साधना॥
शब्द मेरे पास आओ,
अरे ! प्यारे शब्दों, मेरे पास आओ।
कोई गीत,कहानी,कविता सुनाओ॥
मधुर तुम, मधुर तुम, रसीले बहुत हो।
सरल तुम, सहज तुम, रंगीले बहुत हो॥
मिसरी से मीठी, हमें तान सुनाओ।
अरे ! प्यारे शब्दों ,मेरे पास आओ॥
तुम ही तो शारदे, तुम ही तो गलहार हो।
फूलों का घर तुम , तुम ही तलवार हो॥
मेरे कंठ आ तुम, वो शोभा बढ़ाओ।
अरे ! प्यारे शब्दों, मेरे पास आओ॥
मतला है,मक़ता है,कहीं पर काफिया है।
रदीफ, शेर,गजल में, ये बहर क्या है॥
गालिब, दुष्यन्त की, गजल तुम सुनाओ।
अरे ! प्यारे शब्दों, मेरे पास आओ॥
रस, छन्द तू है, तू ही है अलंकार।
तू ही तू ब्रह्मा, तू ही तो है सार॥
हमें भी तो अपना, असर तुम दिखाओ।
अरे ! प्यारे शब्दों, मेरे पास आओ॥
नवगीत, कहानी, आलेख, उपन्यास।
नाटक का मंचन, फैलाते सुवास॥
गुण-दोष,भाषा का, व्याकरण सिखाओ।
अरे ! प्यारे शब्दों, मेरे पास आओ॥
भावों की गंगा, शिल्पों की जमुना।
शब्दों के पथ से ही,है पाती मचलना॥
आकंठ डूबे हम, वहां तिरना सिखाओ।
अरे ! प्यारे शब्दों, मेरे पास आओ॥
                                                             #मुकेश बोहरा ‘अमन’ 
परिचय : मुकेश बोहरा ‘अमन’ अधिकतर बाल रचनाएँ रचते हैं। आप पेशे से अध्यापक होकर बाड़मेर (राजस्थान) में बसे हुए हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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