Read Time1 Minute, 51 Second
चंद्र की चाँदनी हूँ
तारों को समेटे
आँचल में
फैलाती शीतलता
दिवाकर की हूँ उषा किरण
जो नभ और धरा को
देती नवीनता
मेरा हैं हर दिवस
फिर एक दिवस क्यों
करू हर्ष
बन सलिला मैं
देती जीवन में
तरलता
दौड़ रहा हैं ,मेरा
ही अमृत
हर एक की रगों में
मैं ही सृष्टि
नहीं अपने होने का अहं
यही तो मेरी नारीत्वता।।
#शालिनी खरे
परिचय-
नाम :-शालिनी खरे
पति :-श्री शैलेन्द्र खरे
शिक्षा :-एम.ए (हिन्दी साहित्य )
लेखन विधाएँ :-कहानी/कविता/लेख/लघुकथा/बाल साहित्य/ व्यंग्य
प्रकाशन:-विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
प्रकाशित कृति:-“चाँदी के मोती ”
(काव्य संग्रह)
प्रसारण:-आकाशवाणी, भोपाल,दूरदर्शन भोपाल
सम्मान:-पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी शिलांग(मेघालय)द्वारा “डॉ.महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान”-2017
“साहित्य समीर दस्तक”,भोपाल द्वारा “साहित्य गौरव, सम्मान 2017 विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा “नारी सागर सम्मान”,के.बी.हिन्दी साहित्य समिति बिसौली बदायूँ उ.प्र.द्वारा “कीर्ति चौधरी स्मृति सम्मान सम्मान”2018
विशेष:-बच्चों के प्रोत्साहन हेतु स्कूलों में कार्यशाला
स्कूलों में कार्यशाला में निणार्यक की भूमिका
पता:- भोपाल (मध्यप्रदेश)
Post Views:
657
Sat Mar 9 , 2019
आज मैं महिला दिवस पर कुछ लिखना चाह रही हूँ ।आज वर्तमान में महिलाएं सभी कलाओं में परिपूर्ण हो रही हैं ।चाहे लडाई का, मुक्केबाजी, या पहलवानी का हर एक मुकाम हासिल कर रही हैं ।हाल ही में मेरी काॅम नाम की महिला ने 6 गोल्ड मेडल मुक्केबाजी में हासिल […]