बादल

0 0
Read Time5 Minute, 20 Second

babulal sharma

बादल बदरा हरजाई बादल,
सुन के होता तनमन घायल।
कहीं ये मेघ गरज कर भागे,
कहीं बाजे वर्षा ऋतु पायल।
इस  माया  का  पार न पाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

मैं  मेघों  का  भाट नहीं  जो,
ठकुर सुहाती  बात  सुनाऊँ।
अदावत  नहीं  रखी मेघों से,
बे मतलब  क्यों बुरे  बताऊँ।
खट्टी मीठी सब ही जतलाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

पर  मनमानी करते है  बदरा,
सच को मै सरे आम कहूँगा।
क्यों मरूं मरु का निवासी हूँ,
बेलाग मेरे जज्बात लिखूंगा।
मेघ छाँव क्यों थकन मिटाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

किस  बादल पे गीत सुनाऊँ,
यही  समझ  में  नहीं  आता।
कहीं तरसती  धरा मरुस्थल,
कहीं मेघ खुद ही फट जाता।
मन  की  मर्जी  तुम्हे  बताऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

उस पर क्यों मैं गीत रचूँ जो,
विरहन  को रोज रुलाता हो।
कोयल   मोर   पपीहा  दादुर,
चातक   को   कल्पाता   हो।
निर्दोषों को क्योंकर  भरमाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

वह  बादल  ही  था  जिसने,
नल राजा  बेघर  कर डाला।
सत्  ईमान सभी खतरे कर,
वन वन दर दर  कर  डाला।
इस  पर  कैसा  नेह निभाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

वह  पागल  बादल ही होगा,
माटी कर दी  सिंधु की घाटी।
मोहन जोदड़ो  हड़प्पा जैसी,
नहीं  बची   कोई   परिपाटी।
अब   कैसे  विश्वास  जताऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

बादल घन ,घनश्याम कहें वे,
छलिया कृष्ण याद आ जाते।
माखन चोरी  गोपियन जोरी,
गिरि धारण याद दिला जाते।
अब क्यों महाभारत रचवाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

उस मेघ नाद की  बात  करे,
तुलसी  मानस को याद करें।
त्रेता के भूले  घाव  हरे  होते,
जो राम अनुज सनघात करे।
फिर  बजरंग  कहाँ  से लाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

राजा पोरस के आनबान को,
बादल ने ही ध्वस्त किया था।
यूनानी  सेना के सम्मुख जब,
हाथी दल को पस्त किया था।
अब क्योंकर  मैं  इसे  सराऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

बिरखा बादल याद  करुँ तो,
भेदभाव ही मुझको दिखता।
कहीं  तबाही   करता बादल,
मरु में जल घी जैसे मिलता।
लखजन्मों क्या प्रीत निभाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

सम्वत  छप्पन  के बादल को,
शत शत पीढ़ी  धिक्कार करें।
मिल राज फिरंगी,वतन हमारे,
जो  छप्पनियाँ का काल़ करे।
वे भूली  बिसरी याद दिलाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

सन सत्तावन  का  वह बादल,
इतिहासों के पृष्ठों में जा बैठा।
झाँसी  रानी  का   समर अश्व,
नाले तट जाके अड़गया ढेटा।
उन भूलों अब  तक पछताऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

कैसे भूलें नादानी  हम बोलो,
अब  उस बादल आवारा की।
इतिहास बदलने वाली घटना,
पर उसने  ही हार गवाँरा की।
इतिहासों  को  क्या दोहराऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

यह भी तय है बिन बादल के,
धरती, चूनर धानी नहीं होती।
कितने भी  हम  तीर  चलालें,
यह पेट भराई भी नहीं होती।
हैं बहुत  जरूरी  मेघ बताऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

प्यारे  बादल  नादानी  त्यागो,
अब समरस होकर बरसो तो।
कृषक हँसे, और खेती महके,
तुम कृषक संग भी हरषो तो।
मैं  भी  तन मन संग  हरषाऊँ,
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

खेतो में जो हितकारी हो बरसे,
ताल तलैया नदियां जल भरदे।
ऐसे मेघा बदरे बादल  जलधर,
कविजन मन नमन तुझे करदे।
तब मै भी सादर तुम्हे बुलाऊँ।
क्यों बादल बिरुदावलि गाऊँ।💨

नाम- बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

स्वाधीनता दिवस

Mon Aug 13 , 2018
आज है पन्द्रह अगस्त धारा सजी सोलाह श्रिंगार लालक़िला साक्षी रहा सेनाओं के शस्त्र/हथियार कैसी ये आज़ादी है,. है आज़ादी अभी भी अधूरी मासूम सी बालायें नहीं है,. अब भी सुरक्षित पूरी भाई चारा रहे वतन में,…. अमन चैन का हो नारा जात धर्म के नाम पर।, कभी कोई न हो […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।