आओ दहन करें इस होली,
‘मैं’ का..अहम्,वहम का।
रिश्ते नाते,फिर रंग डालें,
यही सही समय,जीवन का।
आओ दहन करें,इस होली,
‘मैं’ का..अहम, वहम का।
डाह होड़ को,छोड़ करें,
साधन ह्रदय,मिलन का।
आओ दहन करें,इस होली,
‘मैं’ का..अहम, वहम का।
लाल हरा,पीला सब ले लें,
हर रंग हम जीवन का।
आओ दहन करें,इस होली,
‘मैं’ का..अहम, वहम का।
संबंधों को रफ़ू करें हम,
लेप प्रेम,मरहम का।
आओ दहन करें,इस होली,
‘मैं’ का..अहम, वहम का।
#शशांक दुबे
लेखक परिचय : शशांक दुबे पेशे से उप अभियंता (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना), छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश) में पदस्थ हैं| साथ ही विगत वर्षों से कविता लेखन में भी सक्रिय हैं |