फौजी

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sushama malik

मत सोचो कि आज किसी एक माँ का बेटा फौजी बना हैं।
आज तो भारत माता का सीना पूरी शान के साथ तना है।।
खाकी पहनी और कंधे पर बंदूक यौवन उसका गदराया है।
उसकी हुंकार के आगे तो देखो दुश्मन ने शीश झुकाया है।।
माँ की याद समेटे है वो दिल मे, पर कब मदर्स डे मनाता है।
बहना उसकी बाट जोहे पर, कब राखी पर घर वो आता है।।
कंधे पर बिस्तर, हाथ मे टैची, छः महीने में वापस आया है।
मेरे देश के वीर सैनिक ने भी शादी का सपना सजाया है।।
सियाचिन में लगी हो ड्यूटी, या लगी हो कश्मीर के बॉर्डर पर।
जल्दी ही वापस जाना होगा इसे, अफसर से मिले आर्डर पर।।
भूल गया उस दुल्हन को वो, वो बन्दूक लगी उसे प्यारी है।
यार दोस्त सब हुए गैर अब, भारत माँ से उसकी यारी है।।
मत सोचो बॉर्डर पर जाग रहा जो, वो किसी बहन का भाई है।
आंखे खोलो भारतवासियो वो बस मेरे देश का सिपाही है।।
सोया देश सुख निंद्रा में, इस देश का लाल जाग रहा है।
फौजी देख झुके हर शीश, “मलिक” का दिल ये मान रहा है।।

#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।

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