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इश्क में,
नयनों की भाषा अजीब होती है
वो मिलन का इशारा दे गई,
इस हृदय में आज भी
इश्क भरपूर जज्बा है,
कौन कहता है कि
ये इमारत खण्डहर हो गई।
इश्क में बताया नहीं जाता कि,
उसने क्या पाया
हमने कौन-सा राग गाया,
रागों की जुगलबन्दी में
दिलों की बात होती है,
खो जाते हैं इतने बातों में
पता ही नहीं चलता,
कब रात होती है
अगर सही इश्क है उनसे,
दूर होकर भी वह करीब होती है।
इश्क में नयनों की भाषा,
बड़ी अजीब होती है
इश्क की कहाँ कोई उमर हो गई,
कौन कहता है कि
ये इमारत खण्डहर हो गई।
इस खण्डहर में इश्क की
सच्चाई छिपी है,
इस खण्डहर में इश्क की
हस्त लिखी लिपि है,
पाँव न मैले हो जाएं इश्क के
इसीलिए इस खण्डहर में,
कालीन बिछी है,
बदनाम न हो जाए इश्क
इसीलिए इस खण्डहर में,
लक्ष्मण रेखा खींची है।
इस खण्डहर में इश्क
पवित्र है,
इस खण्डहर में ईश्क
मित्र है
इस खण्डहर में ईश्क की,
प्रज्जवल्लित लौ है,
इस खण्डहर में इश्क का
अनुभव है,
इश्क कैसे करें
वो हमसे हुनर ले गई,
कौन कहता है कि
ये इमारत खण्डहर हो गई॥
#सुनील चौरे ‘उपमन्यु’
परिचय : कक्षा 8 वीं से ही लेखन कर रहे सुनील चौरे साहित्यिक जगत में ‘उपमन्यु’ नाम से पहचान रखते हैं। इस अनवरत यात्रा में ‘मेरी परछाईयां सच की’ काव्य संग्रह हिन्दी में अलीगढ़ से और व्यंग्य संग्रह ‘गधा जब बोल उठा’ जयपुर से,बाल कहानी संग्रह ‘राख का दारोगा’ जयपुर से तथा
बाल कविता संग्रह भी जयपुर से ही प्रकाशित हुआ है। एक कविता संग्रह हिन्दी में ही प्रकाशन की तैयारी में है।
लोकभाषा निमाड़ी में ‘बेताल का प्रश्न’ व्यंग्य संग्रह आ चुका है तो,निमाड़ी काव्य काव्य संग्रह स्थानीय स्तर पर प्रकाशित है। आप खंडवा में रहते हैं। आडियो कैसेट,विभिन्न टी.वी. चैनल पर आपके कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। साथ ही अखिल भारतीय मंचों पर भी काव्य पाठ के अनुभवी हैं। परिचर्चा भी आयोजित कराते रहे हैं तो अभिनय में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से साक्षरता अभियान हेतु कार्य किया है। आप वैवाहिक जीवन के बाद अपने लेखन के मुकाम की वजह अपनी पत्नी को ही मानते हैं। जीवन संगिनी को ब्रेस्ट केन्सर से खो चुके श्री चौरे को साहित्य-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वे ही अग्रणी करती थी।
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Thu Oct 12 , 2017
`भारत स्वच्छ अभियान` अभी तक कोई ज्यादा असर नहीं दिखा पाया है,पर आने वाले समय में निश्चित ही ये बहुत सार्थक सिद्ध होगा। दरअसल कोई कार्य मात्र औपचारिकता से सम्पन्न नहीं हो सकटा है। पूरी की पूरी मानसिकता बदलनी है,क्योंकि अज्ञानता, लापरवाही और आदतन ही व्यक्ति स्वच्छता की तरफ ध्यान […]