गुरु कौन ?

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यह सच है कि गुरु कोई व्यक्ति नहीं पद है । गुरु वह है जिसके पीछे अगर ‘अ’( शून्य, रिक्त, अभाव, नहीं,आदि)  भी लग जाए तो गौरव हो जाता है ।( गुरु+अ =गौरव)
#  लेकिन इसके लिए शून्यता के बोध से गुरु के पीछे चलना पड़ता है ,आगे नहीं ।
अगर गुरु के आगे लगने की कोशिश की तो अगुरु हो जाएगा, आकर्षण शून्य हो जाएगा, वजन नहीं रह जाएगा ।
# तो, हिंदी भाषा यह भी सिखाती है कि हमें गुरु के पीछे चलना चाहिए । अगर एक और व्युत्पत्ति ‘ग्र’ ध्वनि से गुरु को देखें तो भी यही अर्थ आता है। ग्र ध्वनि से ही गुरु बनता है, ग्रह, ग्रहण बनता है । इन सबमें खींचने या आकृष्ट करने का भाव स्पष्ट है।
# तो, गुरु अपनी ओर खींचता भी है । हाँ, उसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में जाना तो शिष्य को ही पड़ेगा, तभी गुरु अपना काम करेंगे । लेकिन ऐसा भी सब नहीं कर सकते क्योंकि अज्ञानता का बोध होने के लिए ज्ञान की कुछ सीढ़ी चढ़ना जरूरी है। जो, इसको उपलब्ध नहीं होते, उन्हें गुरु की प्यास ही नहीं होती ।
# गुरु का एक और अर्थ अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला तो आप सब जानते ही हैं । (गु अन्धकार , रु प्रकाश) ।
# गुरु पूर्णिमा के दिन अपने सभी गुरुओं को प्रणाम करता हूँ। और,  सबसे पहले उस परम गुरु को विशेष प्रणाम, जो मुझसे होकर मेरे शब्दों में उतर जाता है ;और जो सभी पाठकों के अंतस्थल में बैठ इन शब्दों की ओर उनका ध्यान आकृष्ट करता है ।
श्री गुरुवे नमः !
(मातृभाषा उन्नयन संस्थान की तरफ से आप सभी को गुरुपूर्णिमा की अशेष शुभकामनाएँ !)
#कमलेश कमल

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।