गुरु कौन ?

0 0
Read Time2 Minute, 8 Second
cropped-cropped-finaltry002-1.png
यह सच है कि गुरु कोई व्यक्ति नहीं पद है । गुरु वह है जिसके पीछे अगर ‘अ’( शून्य, रिक्त, अभाव, नहीं,आदि)  भी लग जाए तो गौरव हो जाता है ।( गुरु+अ =गौरव)
#  लेकिन इसके लिए शून्यता के बोध से गुरु के पीछे चलना पड़ता है ,आगे नहीं ।
अगर गुरु के आगे लगने की कोशिश की तो अगुरु हो जाएगा, आकर्षण शून्य हो जाएगा, वजन नहीं रह जाएगा ।
# तो, हिंदी भाषा यह भी सिखाती है कि हमें गुरु के पीछे चलना चाहिए । अगर एक और व्युत्पत्ति ‘ग्र’ ध्वनि से गुरु को देखें तो भी यही अर्थ आता है। ग्र ध्वनि से ही गुरु बनता है, ग्रह, ग्रहण बनता है । इन सबमें खींचने या आकृष्ट करने का भाव स्पष्ट है।
# तो, गुरु अपनी ओर खींचता भी है । हाँ, उसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में जाना तो शिष्य को ही पड़ेगा, तभी गुरु अपना काम करेंगे । लेकिन ऐसा भी सब नहीं कर सकते क्योंकि अज्ञानता का बोध होने के लिए ज्ञान की कुछ सीढ़ी चढ़ना जरूरी है। जो, इसको उपलब्ध नहीं होते, उन्हें गुरु की प्यास ही नहीं होती ।
# गुरु का एक और अर्थ अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला तो आप सब जानते ही हैं । (गु अन्धकार , रु प्रकाश) ।
# गुरु पूर्णिमा के दिन अपने सभी गुरुओं को प्रणाम करता हूँ। और,  सबसे पहले उस परम गुरु को विशेष प्रणाम, जो मुझसे होकर मेरे शब्दों में उतर जाता है ;और जो सभी पाठकों के अंतस्थल में बैठ इन शब्दों की ओर उनका ध्यान आकृष्ट करता है ।
श्री गुरुवे नमः !
(मातृभाषा उन्नयन संस्थान की तरफ से आप सभी को गुरुपूर्णिमा की अशेष शुभकामनाएँ !)
#कमलेश कमल

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

श्रध्दा और संस्कार बड़ो के प्रति 

Fri Jul 27 , 2018
दोस्तों वैसे तो कलियुग में संस्कार और श्रध्दा की बात करना बहुत ही अजीब सा लगता है न ? परन्तु कलयुग में भी लक्ष्मण और भरत जैसा भाई हो सकते है / यदि उन्हें परिवार के बड़े बूढ़ो ने सही परवरिश के साथ बच्चो में संस्कार और पढाई लिखे का […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।