शब्द आतुर हैं ह्रदय में;

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vivek kvishwar

 शब्द आतुर हैं ह्रदय में;

अधर के तुम द्वार खोलो,
नयन-सम्मोहन लुटाने रा

त बाकी है अभी भी,
क्यों तान रक्खी है कमानों के सरीखी वक्र भृकुटी,
गालों पर खिले जो सुमन उनसे आंच को हर मंद कर दो।

तुम न जाने किस गगन की अप्सरा हो; कुछ कहो तो,
क्यों भला शृंगार शस्त्रों से सजी यूं दमकती हो,
नयन-द्वय क्यों छोड़ते हैं काम-सिंचित बाण तीखे,
और होंठों के किनारों पर कटीला स्मित खड़ा है।
नासिका में शोभती है लौंग हीरे की अनूठी,
और गालों पर लिखी है कुन्तलों ने बात मीठी।

किस कदर ये हठ भरा यौवन समेटे तुम चली हो,
तुम चितेरे की अनोखी तूलिका सी मनचली हो,
इन्द्रधनु का आठवां एक रंग जो सबसे निराला,
उस रंग में डूबी हुई; नवरंग रंगी एक कली हो।
पूर्णिमा से ज़रा पहले चांद की जो छवि खिले है,
उस छवि से प्रेरणा ले इस धरा से आ मिली हो।

मैं अकेला ही नही; लाखों यहां मधु के चहेते,
और तुम मधुकलश सी मद में खड़ी आकंठ डूबी,
जहां भी तुम पग धरो; एक नया महुआ वहांखिलता,
चाणक्य की तुम कल्पना हो; रूप-विषकन्या निराली।

क्रुद्ध झरने सा उफनता यौवन तेरा क्योंकर थमेगा,
आंचल तेरा है क्षीण कैसे वो इसे अब धर सकेगा,
आतुर बरसने को किसी आषाढ़ की संध्या सरीखी,
मत रोक ख़ुद को, मुक्त कर दे तू स्वयं को बन्धनों से।
और अपनी प्रणय-धारा से कोई विप्लव जगा दे,
सृष्टि को रसमय बना दे।
नाम: विवेक कवीश्वर 
नयी दिल्ली
सम्मान: 
प्रकाशन: 1 काव्य-संकलन 
1 ग़ज़ल और नज़्म संकलन 
1 दोहा और हाइकु संकलन 
1 नाटक / फिल्म स्क्रिप्ट 
8 काव्य के साझा संकलन

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।