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शैली और रोहन एक ही महाविद्यालय में पढ़ते थे । दोनों ने एस.एस. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय से एम. एस -सी. किया और नौकरी की तलाश में जुट गए ।
दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे । दोनों के परिवारों में भी अच्छे संबंध थे परंतु शैली और रोहन के विचार नहीं मिलते थे । शैली ऊर्जावान व्यक्तित्व की लड़की थी एवं रोहन आलसी प्रवृत्ति का था ।
इतना कुछ होने के उपरांत भी दोनों अच्छे दोस्त थे । उन्होंने यह साबित कर दिया था कि लड़की और लड़के में दोस्ती तभी हो सकती है जब युवावस्था में दोनों एक-दूसरे पर भरोसा करते हों ।
एक दिन ( गर्मियों के दिन थे) रोहन और शैली , ज्यूस की दुकान पर ज्यूस का आनंद ले रहे थे तभी रोहन के मोबाइल पर घंटी बजी और ख़बर सुनकर उसके हाथ से मोबाइल छूट गया ; शैली ने पूछा तो उसने कहा – पापा को गर्मी से चक्कर आ गये और वो सीढियों से गिर गये ।
रोहन अस्पताल के लिए रवाना हो गया, शैली भी उसके साथ चल पड़ी । अस्पताल में डॉक्टर ने आपरेशन का कहा कि फ्रैक्चर हो गया है । बीस हजार रुपए की जरूरत थी । रोहन की पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी । रोहन ने शैली के परिवार से आर्थिक मदद मांगी तो हमेशा अच्छे संबंध रखने वाले शैली के परिवार ने यह कहकर मना कर दिया कि तुम शिक्षित बेरोजगार हो और तुम्हारे पिता सेवानिवृत्त हो चुके हैं , पेंशन से वो हमारा कर्ज कैसे उतारेंगे ? हम आर्थिक सहायता नहीं कर पायेंगे ।
रोहन ने शैली को कहा कि तुम अपने बचत खाते से कुछ रूपए दे दो , लेकिन उसकी बेस्ट फ्रेंड ( जिगरी दोस्त) ने भी कहा – ” मैं अपने परिवार के साथ रहना चाहती हूं जब वो तुम्हारी मदद नहीं कर रहे तो मैं क्यों करूं ?
दोनों की दोस्ती टूट गई और उसकी वजह थी स्वार्थ और मतलबपरस्त सोच जो शैली के परिवार ने दिखाई ।
दिलों का मौसम हमेशा के लिए बदल चुका था । बाहर के मौसम में गर्माहट तो थी लेकिन दिल के जज़्बात तो बर्फ हो चुके थे ।।
#डॉ.वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत डॉ. वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,साथ ही आपकी हिंदी काव्य एवं कहानी की वर्त्तमान सिनेमा में प्रासंगिकता विषय में शोध कार्य (पी.एच.डी.) पूर्ण किया है | और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए कियाहुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।
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