कितनी हुई पराई बेटी

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sushil

होती सबको प्यारी बेटी,
सबकी राजदुलारी बेटी..
गुड़िया को बहलाती बेटी,
जीवन को महकाती बेटी।

सपनों को चहकाती बेटी,
रिश्तों को समझाती बेटी..
कलियों-सी खिल जाती बेटी,
मुझसे जब मिल जाती बेटी।

सपनों में मुस्काती बेटी,
माँ को नाच नचाती बेटी..
पापा काँधे चढ़ती बेटी,
उमर लांघकर बढ़ती बेटी।

यौवन की देहरी पर बेटी,
कुछ संभली सहरी-सी बेटी..
माँ का हाथ बटाती बेटी,
सपनों में खो जाती बेटी।

शादी की हाँ भरती बेटी,
मन में शंका करती बेटी..
बाज़ारों-सी सजती बेटी,
पापा के लिए चिंतित बेटी।

माँ के लिए आशंकित बेटी,
दुल्हन सजी सजाई बेटी..
पर्वत पीर पराई बेटी,
प्रीतम के घर जाती बेटी।

हम सबको बिलखाती बेटी,
बाबुल गले लगाई बेटी..
अपनी कोख से जाइ बेटी,
कितनी हुई पराई बेटी।

     #सुशील शर्मा

matruadmin

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