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कैसी कश्मकश कैसा ये प्यार है ….
कभी मनुहार तो कभी तकरार है ……
तुम न हो तो दुनिया वीरान मेरी ……..
तुम हो,तो दिलों में बहार है।
#वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,इसलिए लेखन में हुनरमंद हैं। साथ ही एमएससी और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए किया हुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।
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उम्दा इकबाल साहेब
उम्दा वासिफ साहेब