*स्पर्श गुंजन* 

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sushil duggad
नहीं  दिखती  है  कोई उम्मीद मगर,
प्रयास   करने  में  कोई  हर्ज  नहीं ।
घोर  अंधेरे  है  दूर  तलक  फिर भी,
विश्वास  जगाने  में  कोई हर्ज नहीं ।
ना  हो भले ही उजाले *”स्पर्श”* मगर,
प्रयत्नों से अन्तर्मन में संतोष होगा ।
इच्छित  आशाएं  ना  फले  फिर भी,
मन  को नहीं मलाल या दोष होगा ।
हाथ  पर  हाथ धर के ना बैठो यारों,
कहीं उम्मीदें अपना दम ना तोड़ दे।
हो सकता है प्रयत्न करने से शायद,
उखड़ी  साँसे फिर जीवन जोड़ दे ।
#सुशील दुगड़ “स्पर्श”
अंकलेश्वर

matruadmin

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