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नहीं दिखती है कोई उम्मीद मगर,
प्रयास करने में कोई हर्ज नहीं ।
घोर अंधेरे है दूर तलक फिर भी,
विश्वास जगाने में कोई हर्ज नहीं ।
ना हो भले ही उजाले *”स्पर्श”* मगर,
प्रयत्नों से अन्तर्मन में संतोष होगा ।
इच्छित आशाएं ना फले फिर भी,
मन को नहीं मलाल या दोष होगा ।
हाथ पर हाथ धर के ना बैठो यारों,
कहीं उम्मीदें अपना दम ना तोड़ दे।
हो सकता है प्रयत्न करने से शायद,
उखड़ी साँसे फिर जीवन जोड़ दे ।
#सुशील दुगड़ “स्पर्श”अंकलेश्वर
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