प्रकृति ने हमें जन्म दिया है तो जिंदा रहने के साधन भी भरपूर दिए हैं। अगर हम प्रकृति के साथ तालमेल बैठा कर चलते तो आज हम भी सुखी और स्वस्थ होते और ये वसुंधरा भी खुश होकर हम पर यूं ही वरदान लुटाती रहती, किन्तु मानव की हर एक […]
मातृभाषा
मातृभाषा
मैं एक गृहिणी हूँ,और हिन्दी को राष्ट्रभाषा रूप में प्रचारित एंव प्रसारित होने और न हो पाने के कारणों पर मेरा दृष्टिकोण,भाषा अधिकारियों से वैभिन्यता रखता हो,उनकी दृष्टि में उतना तर्कसम्मत और वैज्ञानिक न हो,इसके बावजूद मेरा दृष्टिकोण एक आम भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व अवश्य करता है, ऐसा मेरा मानना […]
