पर्यावरण कहे या पंचतत्व मतलब पानी आग, हवा, आसमान और जमीन। यही संसार और जीवन का मूलाधार है। इसी में हम जन्म लेते है और विलीन हो जाते है। यह स्वच्छ तो हम स्वस्थ नहीं तो सब नष्ट। बदतर हालात नष्ट-भ्रष्ट की ओर ही ईशारा कर रहे है। लिहाजा, पर्यावरण […]

बच्चों की आवश्यकताएँ  सर्वव्यापी है , जहाँ उन्हें ज्ञान देने की आवश्यकता है , वही उन्हें सम्मान देने की भी आवश्यकता हैं| उन्हें संस्कारी बनाना है तो उसे सुविचारी भी  बनाना है , उन्हें परम्परा और परिपाटी से परिचित   कराना है तो स्वयं करने और सीखने के मौके को  भी  […]

एक विद्यालय सिर्फ किसी भवन की चारदिवारी को नहीं कहा जा सकता,सिर्फ शिक्षक और भौतिक वस्तुओं का होना भी विद्यालय की परिकल्पना को साबित नहीं करता है,विद्यालय का मूल केन्द्र बिंदु है उसके विद्यार्थी और उनकी संख्याl साथ ही उनकी उपस्थिति वो भी कितने समय तक क्योंकि,जब विद्यार्थी अपनी कक्षा(शाला) […]

भव्य,भारी देश के भारतीयों को मेरा नमस्कार और भारतीयों की सरकार को मेरा परम् नमन हो,वो इसलिए क्योंकि,  उसके आगे अच्छे-अच्छों के सिर झुकते हैं,झुकाते हैं या झुकाने पड़ते हैं,इसलिए मेरा भी गर्व से भरा नमस्कार,नमन नहीं। मैंने सुना हैं कि, देश के हिंद नागरिक ‘पद्मावती’ फिल्म को स्वीकार कर […]

(स्वामी विवेकानंद जयंती विशेष) युगपुरुष,वेदांत दर्शन के पुरोधा, मातृभूमि के उपासक,विरले कर्मयोगी, दरिद्र नारायण मानव सेवक,तूफानी हिन्दू साधु,करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत व प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद का जन्म १२ जनवरी १८६३ को कलकत्ता आधुनिक नाम कोलकता में पिता विश्वनाथ दत्त और माता भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ था। दरअसल यह वो […]

संसार का नाम है भ्रमण,संस धातु से बना है जिसका अर्थ है संसरण करना,और संसार में भ्रमण का कारण है मोहl मोह के दो रूप हैं राग और द्वेषl प्रत्येक जीव प्रत्येक क्षण किसी से राग करता है, और किसी से द्वेष करता हैl मोह एक तराजू या तुला है,जिसके […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।