तुझको ऐ ज़िन्दगी,इक रोज़ मैं छल जाऊँगा, मौत का हाथ पकड़ लूँगा निकल जाऊँगाl सोने-चाँदी के हज़ारों से न सींचो मुझको, मैं ग़रीबों की दुआओं से ही पल जाऊंगाl बंद मुट्ठी का भरम आप बनाए रक्खें, और कुछ रोज़ उम्मीदों में बहल जाऊंगाl मत सुना चाँद सितारों […]
कमोबेश यह स्थिति भारत की सभी भाषाओं की है। यदि हम अपनी भाषाएं ही न बचा पाए तो,भारतीय धर्म- संस्कृति,ज्ञान-विज्ञान,बौद्धिक-संपदा व आध्यात्म ही नहीं,भारतीयता को बचाना भी असंभव है। जब हम भारत की भाषाओं और भारतीयता से दूर होंगे तो,आने वाली पीढ़ियों में भारत के प्रति प्रेम यानी राष्ट्रप्रेम कैसे बचेगा? […]