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काले-काले बादल छाए,आई बूंदें सावन की।
विरहा से तपती विरहन को,आई यादें साजन की॥
यादों की रिमझिम बरखा ने
भिगो दिया प्यासा तन-मन।
महक उठी यादों की बगिया,
दहक उठी चंचल चितवन।
बिखर गया काजल पलकों का
राह तके मन भावन की॥
काले-काले……. साजन की॥
झींगुर मोर पपीहा बोले,
मन की सारी गांठें खोलें।
धक्ध-क करता जियरा डोले,
दिल में मीठी मिसरी घोले।
सपनो में आते-जाते पर,
बाट निहारे आवन की॥
काले-काले………यादें साजन की॥
#अशोक सिंहासने ‘असीम’
परिचय : अशोक सिंहासने लेखन जगत में ‘असीम’ नाम से लेखन करते हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं से पदाधिकारी के रुप में जुड़े हैं। साथ ही एक मासिक पत्रिका के प्रबंध संपादक और मनु प्रकाशन के संरक्षक भी हैं। आपका निवास वार्ड न. २२ सोगपथ(बालाघाट म.प्र.) में है।
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Mon Jul 10 , 2017
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