जिस प्रकार बहरूपिया बदल लेता है नित अपना रूप इसी प्रकार प्रकृति भी लेती है बदल नित नया रूप कभी हवा सुहावनी कभी धूल भरी आंधी कभी शीत-लहर कभी झुलसाती लू कभी धुंध कभी बरसात कभी ओलावृष्टि कितने रूप बदलती है प्रकृति विनोद सिल्ला फतेहाबाद (हरियाणा) Post Views: 417