निशानी बाप-दादा की जो गिरवी रखने जाएगा, वो अपना आतिश-ए-लाचारगी में दिल जलाएगाl पढ़े-लिखों का है ये शहर वापस लौट जा प्यारे, यहाँ एहसास की बोली कोई न जान पाएगाl वो आँखें बंद करके भी मेरे जजबात पढ़ लेगा, मेरा कमअक्ल दिल कैसे हजारों गम छुपाएगाl यहाँ अरमान भी लोगों […]