सूरज उत्तर पथ चले,शीत कोप हो अंत। पात पके पीले पड़े, आया मान बसंत।। . फसल सुनहरी हो रही, उपजे कीट अनंत। नव पल्लव सौगात से,स्वागत प्रीत बसंत।। . बाट निहारे नित्य ही, अब तो आवै कंत। कोयल सी कूजे निशा,ज्यों ऋतुराज बसंत।। . वस्त्र हीन तरुवर खड़े,जैसे तपसी संत। […]