हिन्दुस्तां वतन है, अपना जहां यही है। यह आशियाना अपना जन्नत से कम नहीं है॥ उत्तर में खड़ा हिमालय रक्षा में रहता तत्पर। चरणों को धो रहा है,दक्षिण बसा सुधाकर। मलयागिरि की शीतल समीर बह रही है। हिन्दुस्तां…, यह आशियाना…॥ फल-फूल से लदे तरुओं की शोभा न्यारी। महकी हुई है […]