एक दफा,
हम राह पर चल रहे थे तो एक नजारा मिला,
नजारे को गौर से देखा
तो एक घूमता हुआ परवाना मिला ।
हम तो यूं ही उसकी तरफ चले जा रहे थे,
लेकिन जब वहां पहुंचे
तो एक ना भुलाएँ जाने वाला अफसाना मिला ।।
जब उस अफ़साने में खो गए तो एक अनजाना मिला,
जब उस अनजाने से बात की
तो एक छिपा हुआ है याराना मिला।
हमने तो सोचा कि इस कलयुग में
सब यारी निभाने का झूठा वादा करते हैं ,
लेकिन जब उसने जन्मों की दोस्ती का हाथ बढ़ाया
तो एक खोए हुए हीरे का खजाना मिला।।
कृष प्रसाद
टेंगा वैली (अरुणाचल प्रदेश)