कितनी ईर्ष्या है भाई , इस कर्महीन जमाने में। यह कितनों को है लाई, महलों से झोपड़ियों में।कितनी ईर्ष्या है भाई , इस कर्महीन जमाने में। भाई भाई में नहीं बनती, रिस्ते हैं अब जेभो में। कितनी ईर्ष्या है भाई, इस कर्महीन जमाने में। क्यों करते हैं ईर्ष्या पता नहीं, […]