साहित्य से इतर कुछ भी नहीं पढ़ा मैंने, जब टटोला अक्षरों को अक्षरों की ध्वनियों को, जीवन का प्रारंभ माँ से हुआ, और अन्त भी ‘म’ मृत्यु से ही होगा जीवन का सत्य यही है, शेष सब भ्रमित अस्तित्वहीन क्षणिक खुशियाँ, विचलित करती भटकाती हैं, मगर सत्य को न झुठला […]