बहुत वक़्त गुज़रा है, वक़्त को तराशते हुए। घुप्प अँधेरे में माचिस, तलाशते हुए।। अब नहीं है वक़्त कि, ख़ुद को शो-पीस बना लें। अब सही वक़्त है कि ख़ुद को माचिस बना लें।। ताकि जल सकें मोमबत्तियाँ,जल सकें मशालें। ताकि लौट जे आ सकें ,फिर से उजालें।। बहुत ज़रूरी […]