कंचन जैसे शब्दों का जब, सुख संयोजन होता है, मंगलभाव भरे हों जिसमें, पुण्य प्रयोजन होता है। अंतस का नेह अगर हमें जो, नयनों में दिख जाए तो, ऐसे सफल प्रयासों से, श्रृंगार गीत का होता है॥ दीन-हीन की पीड़ा के जब, अश्क नयन में आते हैं, देख बिलखते बच्चों […]