एक सूरज बाहर, आग उगल रहा है.. दूसरा सूरज मेरे, अन्दर जल रहा है। मेरे अन्दर सुलग रहे, सवाल चैत्र,वैशाख और जेठ में तपने वाले सूरज, के तीक्ष्ण तेवर से भी तल्ख हैं। वे बार-बार मुझे झकझोरते, हैं कि एक ही मुल्क के बाशिंदे.. होकर भी लोगों के बीच, असमानता […]