दोस्तों आज में रक बड़ा ही उलझा हुआ विषय लिया है जिस पैट में एक लेख लिखे जा रहा हूँ / जिसके बारे में स्वंय वो भी नहीं जानती, जिस पर में लेख लिख रहा हूँ / वो विषय है क्या नारी कभी संतुष्ट हो सकती है ? अभी तो […]

चार दिनों की चांदनी मिली है अपनों से क्यों व्यर्थ्य गमाये जा रहा इस ख़ुशी के पल को / वैसे तो कौन किसका होता है इस ज़माने में सब को अपनी अपनी पड़ी है दौलत कमाने में / जब से मिला है तुझे मौका पैसे कमाने का / तो कमाए […]

हजारों-हजार सालों का हिन्दी का समृद्धशाली इतिहास और गौरवशाली वर्तमान जिस पर सम्पूर्ण विश्व अपना समाधान खोजता है। बात यदि गीता और रामायण जैसे धर्मग्रंथों की हो या आदिवासी या दलित विमर्श की हो, इतिहास के मोहनजोदड़ों संस्कृति की हो चाहे सभ्यता के युगपरिवर्तन की। विश्व जितना भारत को जान […]

बेईमानों का शहर है प्यारे बेईमानी के सब धंधे कोई ईमान नहीं किसी का चाहे हो भूखे या नंगे । आतंक में दबी हैं चीखें साया भी है धुँधलाया डर डर भाग रहा है आदमी शराफत से है घबराया । कौन गवाही देगा किसकी अत्याचारियों की दुनिया में इज़्ज़त कहाँ […]

आँखों में सँभालता हूँ पानी आया है प्यार शायद ख़ुशबू कैसी, झोंका हवा का घर में बार बार शायद रात सी ये ज़िंदगी और ख़्वाब हम यूँ बिसार गए बार बार नींद से जागे टूट गया है ए’तिबार शायद सिमटके सोते हैं अपने लिखे ख़तों की सेज बनाकर माज़ी की यादों से करते हैं ख़ुद को ख़बरदार शायद कुछ रोज़ की महफ़िल फिर ख़ुद से ही दूर हो गए लम्बी गईं तन्हाई की शामें दिल में है ग़ुबार शायद हमारा दिल है कि आईना देख के ख़ुश हुआ जाता है सोचता है वो आये तो ज़िंदगी में आये बहार शायद उठाए फिरते हैं दुआओं का बोझ और कुछ भी नहीं वक़्त में अब अटक गए हैं हौसले के आसार शायद सारी उम्र इन्तिज़ार करें तो कैसे बस इक आहट की अरमाँ तोड़ने का ‘राहत’ करता है कोई व्यापार शायद #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 375

मचलती तमन्नाओं ने आज़माया भी होगा बदलती रुत में ये अक्स शरमाया भी होगा पलट के मिलेंगे अब भी रूठ जाने के बाद लड़ते रहे पर प्यार कहीं छुपाया भी होगा अंजाम-ए-वफ़ा हसीं हो यही दुआ माँगी थी इन जज़्बातों ने एहसास जगाया भी होगा सोचना बेकार जाता रहा बेवजह […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।