तेरे साथ गुज़ारे लम्हात,    मेरी क़ीमती जागीर है ।  तेरे मुस्कुराकर देख़ना ही,    मेरे ख़्वाबों की ताबीर है ।।  तेरे बिन अधूरा सा हूं ,     मंज़िलें नहीं मिलती है ।  निकलता हूं सफ़र पर,       मुझे राहें नहीं दिखती है ।।  पहली ख़ुशी ज़िंदगी […]

 शैली और रोहन एक ही महाविद्यालय में पढ़ते थे । दोनों ने एस.एस. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय से एम. एस -सी. किया और नौकरी की तलाश में जुट गए । दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे । दोनों के परिवारों में भी अच्छे संबंध थे परंतु शैली और रोहन […]

बहाकर खूब पसीना अब,    भाग्य ख़ुद लिखना होगा । अपने मज़बूत इरादों से ही,      इस रण में टिकना होगा ।।  चुपचाप बैठकर ऐसे ही,      परिश्रम भी करना होगा ।   अपने हाथों से खुद अपनी,     तक़दीर को लिखना होगा।।  भाग्य तेरा मोहताज नहीं […]

   मां जैसी ये प्यारी लगती ,    भारत मां के भाल पर सजती ।     भाषाओं की सिरमौर है पर,       अपने सम्मान को है तरसती ।।     सरल सहज आसान है हिंदी ,       एक नया विहान है हिंदी ।     […]

 कोशिशें हज़ार की पाने की,    तेरी बेरूख़ी नहीं मिटती है ।  नतीजा मिलता नहीं कुछ भी ,  मेरी चाहत यूं ही बिखरती है।।  दिल में तड़प, आंखों में यक़ीं,     अब भी बाकी है ।   तेरी नज़रों से पीते हैं जाम,    तू ही मयक़दा है,साक़ी है […]

 न समझ ख़ामोशी को,      मेरी मजबूरी जानेमन ।  मेरे इश्क की ताक़त से,      है मज़बूत ये बंधन ।।  तेरे इश्क में जिंदगी,     पुरनूर है, रोशन है ।   बिन तेरे पतझड़ सब,       मुरझाया सावन है ।।   ताक़त है रिश्तों में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।