गर जीवन में आज छाई है बहार, तो पिता ही है इस मूल का आधार. उंगली पकड़ चलना है सिखाया, पर कंभी न छोड़ा हमें बीच मझधार. माँ सुनाए लोरी रात लाख मगर, तर्ज पर पिता का भी है अधिकार. ज्ञान अक्षरों का हमें कराया, कभी न जताया इसका आभार. […]

मां कसम … क्या गरम है रे भाई… अच्छा नहीं लगता मक्खन मलाई दो रोटी भी खाना मुश्किल बदन करता पसीना से पिलपिल पंखा का हवा बदन में नहीं लगता पाड़ा में अड्डा मारने से घर वाली चिल्लाता छत में सोने से मच्छर काटता… मां कसम क्या गरम है रे […]

दो पल की जिंदगी उधार दे दो, उधर सासों का एतबार कर लो, जन्म भर का साथ न सही दो पल में उम्र भर का प्यार दे दो. कैसे कटेगी ये उम्र तेरे बिन, याद आएगी तेरी हर दिन, यादों की बारात न सही एक घडी में यादों के किस्से […]

घर का दरवाजा खोलता हूँ नीचे एक पत्र पड़ा है शायद डाकिया अंदर डाल गया है उत्सुकता से खोलता हूँ माँ का पत्र है एक-एक शब्द दिल में उतरते जाते हैं बार-बार पढ़ता हूँ फिर भी जी नहीं भरता पत्र को सिरहाने रख सो जाता हूँ रात को सपने में […]

रफ़्ता रफ़्ता चल , ऐ जिंदगी। तुझे  दूर   तलक  जाना  है ।। मदहोशी का आलम , ऐ जिंदगी। तुझे अभी संभल कर चलना है।। बेशर्म सी खामोसी , ऐ जिंदगी। खोना नहीं सँभलना           है।। क्या है तकदीर की अगली चाल ,पता नही। बिछा बेईमानी का जाल जो पता नहीं।। मगरूर […]

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 खोलती हूँ रोज़ अपनी चाहत की किताब और पढती हूँ दिल के पन्नों  पे धड़कते तुम्हारे नाम को । उन पन्नों में कर रखे हैं रेखांकित मैंने एहसास के उन कोमल शब्दों को जिनके भावार्थ बहुत गहरे हैं । चिन्हित कर रखे हैं उन तारीखों को भी जिनमें क़ैद हैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।