श्रम आपको उस तरफ ले जाता है जिधर आपका लक्ष्य है। लेकिन भाग्य साथ हो तो लक्ष्य या उससे ज्यादा मिल पाता है यदी भाग्य में नहीं है तो लक्ष्य पास होने के बावजूद सामने से निकल जाता है । सफलता दिखती हैं मिलती नहीं । बिलकुल यही स्थिती भारत […]
srajan
अध्यात्म-चेतना के प्रतीक, भारतमाता मन्दिर से प्रतिष्ठापक ब्रम्हानिष्ठ स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी महाराज वर्तमान युग के विवेकानन्द थे । 26 वर्ष की अल्प आयु में ही शंकराचार्य-पद पर सुशोभित हुए और दीन-दुखी, गिरिवासी, वनवासी, हरिजनों की सेवा और साम्प्रदयिक मतभेदों को दूर कर समन्वय-भावना का विश्व में प्रसार करने के […]