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  जुल्फों में बादलों की घटाओं का फसाना, आंखों में इंद्रजाल का मंजर है सुहाना, चेहरे का नूर कीमती हीरे से कम नहीं- सम्मुख तुम्हारे चांद भी लगता है पुराना। #डॉ. कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’ Post Views: 488

रोज तुम मेरा अधूरी ख़्वाब हो गई, धुंधली जिंदगी में,माहताब हो गई। शराबी कहते हैं मुझे आजकल सभी, होंठ तुम्हारे नशीली शराब हो गई। सुलझे मेरे सारे पेंचीदा सवाल, जब आंखें तुम्हारी जवाब हो गई। बागों के पुष्प भी न भाते अब मुझे, सूरत तुम्हारी फूल गुलाब हो गई। जरा […]

गगन को छूने वाले भाव सारी मंडियों के हैं, कहीं से बूंद भर जल को खुले मुख सीपियों के हैं। हमेशा टूट जाते हैं जरा-सा दाब पड़ते ही, यहां जितने भी एलबम हैं सभी बस दफ्तियों के हैं। स्वयं अपनी ही बातों से मुकर जाता है कोई भी, कहूं क्या […]

आज सुन रहा हूँ      मैं भूख की किलकारियां। मेरे घर में भी होती थी           केसर की क्यारियां॥ आज मेरे देश को क्या             हो गया हे राम जी! जिसे देखता हूँ वही             […]

दस्तावेजों की खातिर मैंने, संदूक खोला था आज। दस्तावेजों में पड़ी डायरी, न जानूँ मैं,किससे थी आखिर नाराज। कुछ पन्नों में इत्र की खुशबू थी, तो किसी में,था शब्द-सुरों का साज। पन्नों में अतीत सिमटा था मेरा, हर पंक्ति हर शब्द में जिक्र तुम्हारा। यादों के झरोखे में,मैं झूम रहा […]

  दैनिक का यही निकला परिणाम अंत में, दिन डूब गया हाथ लगी शाम अंत में। दुनिया से दिल लगाने का अंजाम यह हुआ, फोकट में हो गए हम बदनाम अंत में। विश्वास किया जिस पर हद से भी जियादा, इज्जत लिया उसी ने सरेआम अंत में। आंखों में आंसूओं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।