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जुल्फों में बादलों की घटाओं का फसाना,
आंखों में इंद्रजाल का मंजर है सुहाना,
चेहरे का नूर कीमती हीरे से कम नहीं-
सम्मुख तुम्हारे चांद भी लगता है पुराना।
#डॉ. कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’
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Wah umda