r वक्त-ए-आखिर तुझमें मुझमें फर्क क्या रह जाएगा, ना रहेगा कोई छोटा, ना बड़ा रह जाएगा, =============================== काम आएँगी वहां बस अपनी-अपनी नेकियां, मान-इज़्ज़त महल-दौलत सब पड़ा रह जाएगा, =============================== सीख लूँ खुदगर्ज़ियाँ मैं भी ज़माने से मगर, इंसानियत से फिर क्या मेरा वास्ता रह जाएगा, =============================== फर्क  ही  इतना  […]

दूर होकर भी मेरे दिल के बेहद पास लगती है हज़ारों सूरतों में वो सूरत-ए-खास लगती है ============================= मिल जाए तो जीने का मज़ा आ जाए मुझको भी बिना उसके मुझे ये ज़िंदगी वनवास लगती है ============================== वो मेरे साथ चल रही है डाल के बाहें बाहों में झूठी है […]

कभी बना के हँसी होंठों पे सजाऊँ उसे कभी अश्कों की सूरत आँख से बहाऊँ उसे ========================== कभी पढूँ उसे पाकीज़ा आयतों की तरह कभी गज़ल की मानिंद गुनगुनाऊँ उसे ========================== वो कहता है कि न किया करो याद मुझे जो दिल में बसा हो किस तरह भुलाऊँ उसे ========================== […]

अच्छे बुरे वक्त में भी जो बिल्कुल एक समान रहे, इस दुनिया में उसकी अपनी एक अलग पहचान रहे, =============================== जब भी सजदा किया है मैंने यही दुआ बस माँगी है, आए कितनी भी मुश्किल पर कायम मेरा ईमान रहे, =============================== रह ना जाए हसरत कोई जो चाहो वो कर […]

जाने वाले लौट आ कि तबियत उदास है कोई गीत गुनगुना कि तबियत उदास है ========================== काटने को दौड़ते हैं रेशमी बिस्तर बाहों में ले सुला कि तबियत उदास है ========================== दम ना निकल जाए मेरा प्यास से साकी इक जाम तू पिला कि तबियत उदास है ========================== अक्स भी […]

ये शीराज़ा तो घड़ी भर में बिखर जाएगा किसे मालूम है कल कौन किधर जाएगा ========================== जो मोम होगा पिघल जाएगा इस आग में वो सोना होगा जो कुछ और निखर जाएगा ========================== गुनाहों  से  यूँ   दागदार  है  तेरा  चेहरा कि तू अक्स अपना देखकर डर जाएगा ========================== शाख से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।