धीर गंभीर,तुम मर्यादित सागर हमेशा तुम मर्यादित रहते, नीले आसमान-सा तेरा अम्बर मन हर्षित कर जाता है, उर में रत्नों का संसार समेटे तनिक घमंड न तुमको आता, उछलती-कूदती और लहराती लहरें धरती का आलिंगन करने, किनारे तक आतीं नृत्य करतीं और लहराती, हर-हर कर शब्द निरंतर मन पुलकित कर […]