प्रेम कोई फ्रेम नही है यह सुकून भरा कोना है। जहां मन होता प्रफुल्लित प्रेम नाम ऐसा सलोना है ।। प्रेम कोई कच्चा धागा नही खुशियों का एक पालना है । जीवन आनंद की सच्चाई का प्रेम ऐसा आईना है ।। प्रेम कोई मजहबी नही प्रेम तो हर में मन […]

ताकत कितनी भी पास हो हर समय यह एहसास हो असली ताकतवर कोई ओर है मेरे नाम का तो बस शौर है करता वह ही ,जो चाहता है बस, नाम मेरा हो जाता है करता हुआ वह दिखता नही अहंकार जरा भी वह करता नही पूरी सृष्टि का नियंता है […]

जनवरी मास सर्वोत्तम है करिए इसका उपयोग जितना ज्यादा हो सके करे अभ्यास राजयोग याद में प्रभु की रहने से शांत चित्त और मन होगा खुशियों की हवा बहेगी प्रफुल्लित घर उपवन होगा शीतकाल का समय है यह अमृत बेला उठो जरूर परमात्मा से संवाद करो जीवन आनन्द लो भरपूर। […]

हरे भरे वृक्षों में जान है उनके भी अरमान है ऐसे वृक्षों को काटो नही पाप के भागी बनो नही उन्हें फलने फूलने दो आक्सीजन छोड़ने दो वे पर्यावरण संरक्षक है स्वस्थ्य के रक्षक है छांव वही तो देते है फलों से झोली भरते है वृक्ष कटने न पाये कोई […]

अमृतबेला में अमृत बरसाता रोज सुबह आकर हमें उठाता अंतरमन में सदविचार देकर जागरूकता का पाठ पढाता नियम,संयम,ध्यान कराता तीनो कालों का बोध कराता याद में मुझको अपनी रखकर पतित से मुझे पावन बनाता निमित्त बनाया उसने मुझको ज्ञान दिया अपना मुझको सुबह सवेरे स्वयं लिखवाता सारा श्रेय मुझको दे […]

दुःख में भाग्य दुर्भाग्य हो जाता है सुख में भाग्य सौभाग्य बन जाता है तमस के बाद सूरज निकलता है कर्म और नियत ठीक हो तो हारा हुआ भी स्वतः जीत जाता है नियत भाग्य भी सद्कर्म से खुद ही बदल जाता है यानि जैसा चाहे वैसा भाग्य बन जाता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।