व्यापारी सँग त्रस्त हैं शिक्षक और त्रस्त हैं विकल किसान, फिर भी हम कहते नहिं थकते मेरा भारत देश महान। ००० नाम अतिथि शिक्षक पर झेले हरदम वे शोषण की मार, मिलता वेतन कार्य दिवस का मुफ़्त रहे समझो रविवार। नियमित शिक्षक से हरदम वो विवश झेलने बस अपमान, फिर […]
tiwari
(1) नमस्कार भी है नहीं,उनको क्यों स्वीकार। मेरी अच्छी पोस्ट भी,देते वह दुत्कार।। देते वह दुत्कार,रहें निज भौंहें ताने। तुले हुए जो लोग,झूठ को सत्य बताने।। कह सतीश कविराय,न उगलें निज गुबार भी। सरस नहीं स्वीकार,है जिनको नमस्कार भी।। (2) मंच दिलाने बढ़ रहे,प्रतिभाओं को चोर। कलियुग की महिमा सरस,फैली […]