गांधी फिर कब आओगे जनमानस के सुप्त पटल से छुद्र स्वार्थ हटाओगे। बापू क्या फिर आओगे।। जाति पाती ही ध्येय बना धर्म के ठेकेदारों का मन्दिर मस्जिद में जूझे जनता खेल वोट बंटवारे का सत्य अहिंसा नारे बन गए जनता को भरमाने का।। बढ़ती पशुता नग्नता सी कैसी वैचारिक विषमता […]