सुनो न, सुनो न.. देखो तोड़ रहा हूं, फूल तुम्हारे ख्यालों काl मन की गहराइयों से, एक-एक फूल तुम्हारी यादों का.. रेशम-सा सुनहरा, जो तुमने दिया था.. अब वो धागा न रहा पहनोगी न तुम। सुन रहा हूं, धुन तुम्हारी खामोशी की.. लबों पर जो सजी थी बांसुरी-सी, और घाव-सी […]