दीये की जोत जो हो तुम सनेह का धृत मेरा है. सुवासित हवन-धूप-सा मेरे रोम में बसे हो तुम. जीवन यह ढोल है मेरा तेरे थापों बिना सूना. जो तुम्हारी धूप पड़ती है तभी होता मेरा वादन. मेरी पूजा, मेरा अर्चन मेरा वंदन, मेरा गायन भजन की लय तुमसे है […]
katariyar
अनेक राह हैं…. लंबी-लंबी सड़कें, उबड़-खाबड़ वीथिकाएं, कच्चे-पक्के रास्ते. बर्फ वाले पहाड़, गहरी तलहटियां, चाय-बागानों की ढलान. उजड़े-बियाबान, घने-वन. हर जगह है मौजूद, इस दुनिया का वजूद. फिर भी,बन न सकी एकछोटी,कच्ची-पक्की राह तुम्हारे और मेरे दरम्यान,, जिसपर चलकर हम आ सके इतने करीब, कि, ‘स्व’ समाहित हो, […]