मोहनदास करमचंद गाँधी और इन्दौर का एक नाता ऐसा है जो जीवन पर्यंत हर हिन्दीप्रेमी स्मरण करता रहेगा। 3 जून 1918 को गांधीजी की अध्यक्षता में इंदौर में ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन’ आयोजित हुआ और उसी में पारित प्रस्ताव द्वारा हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। इन्दौर में […]

आज मुझे ऑफ़िस से घर आने में काफ़ी देर हो गई I जैसे ही कॉलोनी के गेट के अंदर क़दम बढ़ाया, देखा चारों तरफ़ शांत वातावरण था I मुझे केवल मेरे ही क़दमों की आहट सुनाई दे रही थीI सब सो चुके थेI हर घर की बत्ती बंद थीI मैंने […]

संस्कारों का पहन के जामा, दया, धर्म की थी दीवानी। कर्म योगिनी, राजयोगिनी, अहिल्याबाई बनी कल्याणी। शासन का परचम फहराकर, धर्म ध्वजा को लहराकर। हरा दिया मुगलों को उसने, ऐसी थी अहिल्या महारानी। बहुत रूप होते नारी के, सभी रूपों में जीती है। अमर हो गई वो इतिहास में, शासक […]

लोकमाता अहिल्या बाई होलकर की 300वीं जयंती विशेष हम सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। मुश्किल समय में भी पूरी दृढ़ता के साथ परिवार और समाज के साथ खड़े रहना, यह आसान नहीं लगता। लेकिन जब हम पूजनीय माँ अहिल्या के जीवन पर दृष्टि डालते हैं, तो जीवन […]

सॉनेट शाला करूँ अर्पण-समर्पण मैं, जगे अभ्यास की ज्वाला। करूँ छंदों का तर्पण मैं, तृप्त हों हृद-सलिल-शाला। भवानी शारदा माता, रखूँगी एक अभिलाषा। सुमति अल्पज्ञ भी पाता, समर्पण ही सहज भाषा। जगाऊँ नाद मैं ऐसे, जगत गूँजे अलंकारों। सकल ब्रह्मांड में जैसे, शबद हुंकार चौबारों। सुगम-सी काव्यमंजूषा। छंद सॉनेट की […]

● भावना शर्मा, नई दिल्ली भारत की सत्तर फ़ीसदी आबादी पान-गुटखों के अड्डों पर, चाय सुट्टा की गिरफ़्त में, हैवानियत के मकड़जाल में, सिगरेट के धुएँ के छल्लों में, गुमटी-चौराहों के ठिकानों पर लगातार अपने जीवन को ठिकाने लगाने में जुटी हुई है। न केवल पुरूष बल्कि उतनी ही संख्या […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।