आज सुतिया घर में नहीं समा रही है। आँचल में कारड छिपाती सुतिया कभी यहाँ,तो कभी वहाँ होती। समूचा गांव ही तो उसका घर है। वह हर घर के भीतर-बाहर हो लेना चाहती हैं। देखते-देखते जैसे सुतिया का चेहरा ही कारड हो गया। लाल किनारों वाला सुनहरा सुन्दर कारड। लाल […]