नेता  जी  तो  सब  बने,नेती बनी  न कोय, ज्यों नेती  बनने  लगें,तो शोषण  क्यों होय। तो  शोषण  क्यों  होय,बने  नेता महतारी, देवें    ऐेसी   अक्ल ,नहीं   बनें भ्रष्टाचारी। कह पी के कविराय,हों काम सब हितकारी, जनता भी  खुश रहे,नेता  हों वचनकारी।               […]

14 जुलाई की सुबह केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से उनके आवास पर प्रख्यात पत्रकार राहुल देव,विदुषी कथाकार चित्रा मुद्गल,पद्मश्री डाॅ.श्यामसिंह शशि,मुंबई विश्वविद्यालय के प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय,संपादक राकेश पाण्डेय तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के डाॅ. दर्शन पाण्डेय ने भी भेंट कीl सभी ने भोजपुरी और राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में […]

सुने जो तेरे ये हालात,दिल डूब गया, चला था मैं जो तुम्हें जीना सिखाने, ख़ुद ही भूल गयाl न मेरे पास वो अल्फ़ाज़ बचे, न दिल में अब वो साहस है.. कैसे समेटूँ मैं तुझको, देख के तेरे ये ग़म , मैं ख़ुद ही बिखर गयाl हर आँसू को पी लेना, हर ग़म को हंस के जी लेना.. यही तो कहता रहा मैंl मगर देख के तेरे आँसू, मैं ज़िंदादिली भूल गयाl #डॉ.संजय यादव परिचय : राजस्थान के ज़िला-झुंझनू में डॉ.संजय यादव का मूल निवास हैl गाँव-पचेरी छोटी(तहसील-बूहाना) के डॉ.यादव की शिक्षा एमबीबीएस है,और वर्तमान में दिल्ली में ही रहकर कार्य कर रहे हैंl ग़ज़ल,कविताएँ और मुक्तक लिखने का शौक रखते हैंl सामाजिक […]

  पाखण्ड ही तो है जो ये तुम रोज खुद को समझाते हो, फल में देरी कहाँ है क्यों इस झूठ से खुद को बहलाते होl परिश्रम तो करो इन हाथों से, जिन्हें तुम रोज प्रार्थना के लिए उठाते होl परिणाम के बारे मे क्यों सोचते हो, पहले खुद को […]

     मेरी दीवानगी का आलम,        मेरी उम्मीद ए वफ़ा हो।       तुम पर है ऐतबार मेरा,           क्यों तुम ख़फ़ा हो॥      प्यासा एक सेहरा मैं,      तुम प्रेम की घटा हो।        बरसती मेरी आंखों […]

मानसून अकेला नहीं आता,मानसून दल-बल के साथ आता है।अकेले आने में उसे डर लगता है। हमारे यहां मानसून आता है तोलगता है, नेताओं का झुण्‍ड आ रहा है कभी लगता है अधिकारियोंका दरबार आ रहा है। मानसून बारात की तरह होता है,बारात केआते ही मोहल्‍ला गूंज उठता है,कुत्‍ते चिल्‍लाने लगते हैं,कुछ दुबकजाते हैं,महिलाएं बाहर निकल आती है दूल्‍हे को देखने। मानसून केआते ही महिलाएं घर से बाहर निकलती हैं,शरीर पर उभरी घमोरियोंको दूर करने के लिए मानसून की बारिश में नहाती हैं। बारात केमनचले बारात की लड़कियों को घूरते हैं,मानसून की बारिश में नहातेसमय मोहल्‍ले के शरीफजादे कभी तिरछी नजर से,तो कभी सीधीनजर से निहारते हैंll।उन्‍हें लोग घूरना भी मान लेते हैं। ये बारिश काधन्‍यवाद करते हैं। बारिश में नालियां खुशी से उफान पर आ जाती हैं। उनमें फंसा कचरागुलाब की तरह खिल जाता है। उससे उठती दुर्गंध से लोगों की नाकपकोड़े समान हो जाती है। जेब का रुमाल नाक पर आ जाता है। सड़कका कचरा विपक्ष की एकता की तरह एकसाथ बहने लगता है। सत्‍तापक्ष सफाई में जुट जाता है। कचरा सड़क पर भ्रष्टाचार की तरह फैलजाता है,उठाते-उठाते थक जाते हैं,कचरा समाप्‍त नहीं होता है। मानसून का इंतजार हो रहा है। बारिश शुरू हो चुकी है। मौसम विभागका कहना है-यह बारिश मानसून की नहीं है,आज तक समझ में नहींआया कि,मानसून की बारिश और मानसून से एक दिन पहले कीबारिश में क्‍या अंतर है। मौसम विभाग किस बारिश को मानसूनीबारिश मानता है,समझ में नहीं आता है। मानसून खुश होने का मौसम होता है। किसान खुश,नेता खुश,बाढ़़आएगी,अधिकारी-बाबू खुश हैं। मानसून में सड़ी प्‍याज व्‍यापारी बेचदेते हैं,समोसे की बिक्री बढ़ जाती है,सड़े आलू के खाद्य पदार्थ बाजारमें, ब्रेड पकोड़ा की टीआरपी बढ़ जाती है,छतरी के भाव आसमान छूनेलगते हैं। छतरियां प्रेमियों को भाती हैं,तिरछी नजर से छतरी बारिशऔर बाप की आंख से बचाती है। चखना की खोज में बेवड़ा लोगनिकल पड़ते हैं,प्‍याज के पकोड़े चखने का काम कर जाते हैं। पेन्‍ट हॉफ पेन्‍ट में बदल जाती है। महिलाएं पाजामा पहनने लगतीहैं,ताकि बारिश से बचने के लिए उसे घुटनों तक किया जा सके। मैकेनिकों की पौ-बारह हो जाती है। चार के आठ वसूलने का मानसूनआता है। नेता खुश हो जाते हैं,आसमान से बाढ़ का नजारा औरजमीन पर नोटों का खजाना। राहत सिर्फ राहत कुछ के लिए,कुछकौन ??????? मानसून का इंतजार करते हैं-चिकित्सक,अस्‍पताल,दवाईवाले,अधिकारी और बाबू। मानसून डेंगू,बुखार,डेंगी,चिकनगुनिया,बर्डफ्लू आदि के साथ आता है। इन दिनों सभी की जेब मानसून कीबारिश से आई बीमारियों से प्राप्‍त पैसे से भारी हो जाती हैं। बाढ़ राहतकोष, स्‍वयंसेवी संस्‍थाएं लूट का इंतजाम,कार्यकर्ता जमा हो योजनाबनाने लगते हैं,झोपड़ पटटी में फैली सुन्‍दरता को निहारने का मौकामनचले तलाशने लगते हैं। बारिश हो चुकी है,मौसम विभाग की घोषणा का इंतजार है,मानसूनआ गया है,बारिश नहीं आई है।                                                               […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।