मेहनत करे किसान पर मलाई हमें चाहिए। खेत बिके या बिके गहने उसे हमको क्या लेनेदेने। हमको तो उसकी फसल बिन मोल चाहिए। और हमे कमाने का मौका हमेशा चाहिए। फर्ज उसका खेती करना तो वो खेती करे। हमको करना है धन्धा तो हम लूटेंगे उसे। होता आ रहा है […]
जहाँ मिलती है अम्बर और धरती वो क्षितिज कहलाता है निराला सा है बंधन भ्रम हो के भी सबको भाता है दिखता है दूर मगर पर मुकम्मल सा नजर आता है न होके भी दिखाई दे ऐसा बंधन सबको भाता है स्वार्थ के जहान में यथार्थ का है दर्शन काश […]
बूंद-बूंद पानी का प्रवाह देता है एक धारा को पतली -पतली सी धाराएं गति देती हैं एक नदी को बलखाती ,इठलाती अठखेलियां करती चलती है अपनी ही यौवन की मस्ती में जीवन को पोषित करती है बाधाओं को अपने प्रचंड प्रवाह से लांघती पार करती हैं अनंत ऊंचाइयों, गहराइयों को […]
बहुत दुख है जीवन में जो कम होता ही नहीं। बहुत कम है सुख अब जो गगार में भरता नहीं। सुख और दुख में अब कोई अंतर नहीं दिखता। असल में देखे तो हम दुखी है दोनो ही जन।। जो दुखी है वो रोता है सुखी वालो को देखकर। जो […]
सुनो सुनता हूँ में अपने हृदय की पीड़ा। न दिल में मेरे प्यार उमड़ता है अब कभी। खाली जो कर दिया हमने इसके भंडार को। तो कैसे लूटा पाएंगे अब प्यार हम यहां। करते रहे पूजा जिस प्यार की जीवन भर। भरी लगने लगा अब ये प्यार वाला शब्द। राधाकृष्ण […]
सद्कर्मो से भाग्य है बनता सत्पुरुष सद्कर्मों से जन्मता अहंकार पलभर में मिटता इंसानियत का उदय हो जाता सद्कर्मो से हीे मिटते है विकर्म इसी से बन जाता पावन मन सद्कर्म ही है परमार्थ का पथ इसपर चलने से बनते समर्थ छोड़ दो जीवन के सब व्यर्थ स्वयं पा जाओगे […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।