वो जब से लौट आए से मेरे शहर में दिन में ईद,रात में दिवाली हो गई है उनके आने की खबर की ये तासीर है खेत-खलिहान,नदी,पर्वतों में खुशहाली हो गई है वो जो निकले हैं सँवर के मेरे छत पे तो अमावस भी तारों वाली हो गई है अपने होंठों […]

मैं खुद जवाब हूँ हर सवाल का मुझको अफवाहों से डराता है क्या मुझको प्यास है सात समंदर की मुझको फिर बूँद-बूँद पिलाता है क्या मैंने आसमाँ को बाँहों में जकड़ रखा है तू मुझको ख़्वामखाह ज़मीं पे गिराता है क्या मैंने कितने होंठों को हुश्न के काबिल बना दिया […]

गर हो आज तुम्हारी इजाज़त मुझे तो आसमाँ पे तुम्हारी इबारत लिखना चाहता हूँ तमाम दौलतें एक तरफ और तुम्हारी एक मुस्कान मैं तुम्हारी मुस्कान पर भरे बाज़ार बिकना चाहता हूँ रात की चादर हटे और तुम्हारा रूप खिले तब मैं तुम्हारे माथे पर ओंस सा चमकना चाहता हूँ कभी […]

जब भी बात की तो तेरी ही बात की बस यूँ हमने बसर दिन और रात की पहले चिंगारी,फिर शोला और फिर आफ़ताब उनके हुश्न की तारीफ की यूँ शुरुआत की ख़्वाबों की गुमशुदा गलियों में भटके उम्र भर तब जाके उनके नूरे-नज़र से मुलाक़ात की न देखें उन्हें तो […]

इस रस्म की शुरुआत बस मेरे बाद कीजिए जिनसे रौशन है हुश्न, उन्हीं को बर्बाद कीजिए गर पूरी होती हो यूँ ही आपके ख़्वाबों की ताबीरें तो खुद को बुलबुल और मुझे सैय्याद कीजिए ये कि क्या हुज़्ज़त है आपके नूर-ए-नज़र होने की दिल की बस्तियाँ लुट जाएँ,और फिर हमें […]

1.मेरा चाँद निकल आया है,ज़मीं पे रोशनी हो गई उस आसमाँ के चाँद की जरूरत नहीं,इक्तिला करो गर फिर भी है कुछ खुशफहमी उस चाँद को तो मेरे चाँद के पाकीज़ा तबस्सुम से  मुकाबला करो हम दिखाएँगे तुम्हें इन सितारों की सब बदमाशियाँ शाम ढ़लते ही पुरानी गली में हम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।