कही गम है तो कही खुशी। कही प्यार तो कही टकरार। कही मिलना तो कही बिछड़ना। कही जिंदगी तो कही मौत। बड़ा ही अजीव है दृश्य इस दुनियाँ का।। जो दुनियाँ को समझा और उसी अनुसार ढल गया। वो मानो मौजमस्ती से जी गया। जो जमाने को नहीं समझा वो […]

कुछ कर गुजरने की अब किसानों ने ठान ली है। और अपनी एकजुटता देश को दिखा दी है। किसानों का कोई जात धर्म नहीं होता है। उनका धर्म तो खेतों में अन्न उगाना ही होता है।। 70 सालों में जो कुछ भी देश के महापुरुषो ने बनाया था। अब ये […]

बहुत सोच विचार कर लेखक कवि लिखते है। अपने दिलके अल्फाजो को अपनी कलम से लिखते है। जो पाठकों के चेहरो पर मुस्कान ले आती है।। कभी अपनी कमियों को तो कभी समाज की कमियों को। वो अपनी लेखनी से सदा उजागर करते हैं। और उन क्रूतियों को समाज से […]

कल से कल तक मैं आज को ढूंढ रहा हूँ। जीवन के बीते पलो को, आज में खोज रहा हूँ। शायद मुझे वो पल आज में मिल जाये ।। गुजरा हुआ समय, कभी वापिस नहीं आता। मुँह से बोले शब्द भी, कभी वापिस नहीं आते। इसलिए बहुत सोच समझकर, शब्दो […]

सोच बदलो गाँव बदलो अब चलो गाँव में। तभी हम गांवों को खुशाल बना पाएंगे। और नया हिंदुस्तान हम मिलकर बनाएंगे। और गांवों का इतिहास एक बार फिरसे दोहरायेंगे। गांवों की मिट्टी का कोई जवाब नहीं है। पैरो में लगती है तो चलने की शक्ति आती है। माथे पर लगाओं […]

नदियाँ खुद अपनी चाल से रास्ते बना लेती है। बड़े बड़े पहाड़ों को भी चीर कर आगे निकल जाती है। क्योंकि उन्हें अपनी आप पर विश्वास होता है। इसलिए उन्हें अदार से पूजा जाता है।। इरादे हो अगर नेक तो मंजिले स्वंय रास्ता दिखती है। और मुसाफिर को उसकी मंजिल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।