वो किस तरह आजमाते मिले है    झूठी  चाहत  जताते  मिले  है हमने देखी है फरेबी फितरत उनकी    वो हमसे अब नजरें चुराते मिले है वादे खूब करते रहे हंसाने के हमसे       और हमही को रुलाते मिले है मंजर खुशियों का मिलता नही है    जहर […]

वो पीपल बहुत ही छाँव देता है सुकून मुझको मेरा गाँव देता है चला  आया आज  शहर से दूर बच्चा हो या बूढ़ा लगाव देता है लगा लेते गले से किस्से सुनाते है नहीं  कोई भी  यहां घाव  देता  है नदी का किनारा वो खूबसूरत पल कोई   नहीं  यहां  टकराव  […]

बातें अब आर या पार की हो गोला  बारूद  तलवार की हो मसले हल नही होते शांति से बातें पाकिस्तानी हार  की हो  डट जाएंगे  मैदान ए जंग में बातें गोलियों की बौछार की हो मिट्टी में मिला देंगे गद्दारों को बातें अब  ललकार  की  हो रखने  होंगे सिंहो से […]

तुझसे बिछड़ने का  मलाल  रहा हर पहर एक तेरा ही ख्याल रहा दूर रहकर खुद को मनाता कैसे मेरे  लब  पर  यही  सवाल  रहा मेरी चाहत से जल रहा जमाना इसी  बात   का  तो  बवाल रहा रंग होली के सब फीके  ही रहे बचा  अब  तलक  गुलाल  रहा मुझे शिकवा […]

दुनियां इतनी बेगानी क्यों है नफरत  की  कहानी  क्यो है बहारें  जाने  कहां खो गई राहें इतनी वीरानी  क्यों  है खून से सने आ रहे अखबार बातें प्यार की पुरानी क्यों है दिल की तड़प कम होती नहीं आँखों मे  इतना पानी  क्यों है मरहम भी अब मिलता नहीं है […]

वतन ए हिन्द को हम प्यार करते है देनी पड़ी जान तो जान निसार करते है छुड़ा देते है छक्के भी दुश्मनों के गोलियों की हम  बौछार करते हैं बुलंद हौसले वाले डरते नहीं है हम तूफानों को भी साहस से पार करते है जाति धर्म का हम भेद नही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।