जो रूकता नही,
ठहरता नही
रौंद देता है लाखों ख्वाहिशें
उसे फर्क नही पड़ता।
वो बस चलता जाता है,
अपनी धुन में,में,अपने संगीत में
उससे कोई बात छुप पाना मुश्किल है
वक्त, समय, घड़ी कईं नाम है जिसके,
कब बीत गया ये जिन्दगी का लंबा सफर
ये बस वक्त बता सकता है।
काश मेरे वश में होता इसे रोक पाना
तो आज रोक देता इसे
यहीं पर,
मगर ये सुनता नही हैं किसी कि,
ये अपनी अकड़ नही छोड़ता।
आज कल परसो से नही
सदियों से ये एसे ही सब कुछ
अपने पैरों के नीचे रौंदता आ रहा है।
मै महसूस कर लेता हूं इसकी
मंद मंद चाल को, लेकिन रोक नही पाता।
जज्बाती बाते इसके पल्ले नही पड़ती,
बस एक बार मुलाकात कर इससे
पूछना चाहता हूं, इसकी अकड़ूपन का कारण
समझना चाहता हूं इसे।।
#सतेन्द्र सेन सागर
नाम –सतेन्द्र सेन सागर
साहित्यिक उप नाम- सागर
वर्तमान पता- नई दिल्ली
शिक्षा- बीबीए(मार्केटिंग) , बीए(शास्त्री संगीत)
कार्यक्षैत्र- अर्धसैनिक बल
विधा- मुक्तक, काव्य, दोहा, छंद
सम्मान- साहित्य सागर रचनाकारअन्य उपलब्धिया- आखर नामक काव्य संग्रह मे रचनाए प्रकाशित, देश भर के विभिन्न राज्यो के अखवारो ओर ब्लॉग में रचनाओं का प्रकाशन।
लेखन का उद्देश्य – एक सोच को जन्म देना, प्रेम के प्रति नजरिया बदलाव एवं एक इंकलाबी लेखक बनने का प्रयाश