क्या पाया क्या खोया है।
दिल
जोरों से रोया है।
उसने
खुदगर्जी का महल बनाया।
वो नींद चैन की सोया है।।
हाथ खून से तर-बतर हुए,
कांटा ही कांटा बस बोया है।।
जो अर्थ जाने ना रिश्ते का।
अपनेपन में
उस बेवफा का रिश्ता ढोया है।।
उस खुदगर्जी के रिश्ते पर।
अपने
आंसुओ से धोया है।।
पर शब्द नही है
कहने को,
किसी
पनाहों में सोया है।।
मेरा दिल
जोरों से रोया है।
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवासरोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षितसुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं।सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है।विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।