इस दिल ने कितनो को मारा था
किसी एक पे ये भी मरा था,
जो हाल मैंने मेरे पर
कुछ मरने वालो का किया,
उसने भी मेरा वही हाल बना रखा…
किस बात से मै दीवाना था
किस बात पर! वो मोहब्बत थी
किस लिए ये एहसान सा है
जो तुम हुए ही नही ‘मेरे आशना’…
बावफा तो इश्क़ सबमें होता
मै दुनिया सा नही हूँ,
शायद मै इश्क़ से पेश्तर सोचा नही,
गिला तो उन्हें हुआ होगा ना
जो दिल लगाया उनसे बिना पूछे,
और इज़हार भी ऐसे किया की
आप मुझसे प्यार करते हैं! हैं…
अब बेहाल हूँ तो इलज़ाम क्यूँ उसपर,
जरा ऐसा रहना भी सिख लूँ,
‘ये अब कभी कभार नही होता
ग़म का कभी दीदार नही होता’….
जो लाख गुणा अच्छा है तनहापन
मेरे हर पल से वो जुदा नही होता
फिर भी यार कहता है
मेरा जिक्र तुमसे जुड़ा नही होता
मैं तो काफ़िर सा ही रह गया
कहीं हद से बढ़कर वो खुदा
याँ कहो हर सांस
इबादत बनके रह गया…!!
#मेहताब पदमपुरी
परिचय :
नाम- गगनदीप सिंह
साहित्यिक उपनाम- मेहताब पदमपुरी
राज्य- राजस्थान
शहर- पदमपुर
शिक्षा- एम.ए. प्रीवियस अध्ययनरत
कार्यक्षेत्र- मुनीम
विधा – ग़ज़ल, कविता व नज़्म आदि
प्रकाशन- महकते लफ्ज़ (साँझा संग्रह)
सम्मान- युग सुरभि
लेखन का उद्देश्य- दर्द को आसान और कम करना